संघर्ष : जीत की पहली और आखरी सीढ़ी
चल अब लक्ष्य को चुन,
मंज़िल अब भी दूर खड़ी
ख्वाब जो देखें थे
अब पूरा करने की आयी है वो घड़ी
संघर्ष ही वो पहिया हैं
जिसके सहारे ही मझधार से नाव पहुँँचती है किनारे में
हार कर जो सीख ना पाए वो शख्सिय़त ही क्या?
जो बिना संघर्ष के जीत की राह चुने
जो लढ़कर हार को न हरा सके वो जाहबाज़ हैं कैसा ?
वो योद्धा ही क्या जो बन न सके अर्जुन और एकलव्य जैसा
चल उठ लढ़कर खुद से खुद के अंदर एक मशाल जला
कोई नहीं है मान ले जग में तेरे साथ खड़ा
अकेले ही चलना है दृढ़ निश्चय कर आगे बढ़ते जा
भूल मत तू भारत भूमी में जन्मा है
अपने लक्ष्य को छू के दिखा
संघर्ष कर के आगे बढ़ एक नया इतिहास रचा
तेरे अंदर ही है सक्ति प्रबल अब जीत हासिल कर
एक मिसाल बन के दिखला जा ।।
Antara चौधुरी
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Antarachoudhury.15
Apeksha Mittal
08-Jun-2021 09:28 PM
आपने बहुत अच्छी तरह से ये कविता लिखी है
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Antara choudhury
12-Jun-2021 04:48 PM
Bahut bahut shukriya shukriya❤️
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Kumawat Meenakshi Meera
08-Jun-2021 07:12 PM
Nice
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Antara choudhury
12-Jun-2021 04:48 PM
Thankyou so much mam
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Ravi Goyal
08-Jun-2021 06:51 PM
बहुत सुंदर रचना 👌👌
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Antara choudhury
12-Jun-2021 04:48 PM
Bahut bahut shukriya sir 😊
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